राहों में अंधेरे थे
सूनी सूनी सी जिंदगी हुई थी
जिंदगी में आकर खुशियां
जिंदगी से रूठ सी गई थी
उम्मीदें भी रेत की तरह
हाथों से कुछ यूं फिसली थी
ख्वाहिशें भी जब सारी
अधूरी सी ही रह गई थी
तुमने थामा था
तब हाथ मेरा
जब रूठा था
मुझसे रब मेरा
मेरी अंधेरों से भरी जिंदगी का
तब तू बन
गया था सवेरा
फिर हुआ क्या था ऐसा
यकीन की डोर
जो संग तेरे बांधी थी
तुमने ही
विश्वास की
वो डोर तोड़ दी है
मन ये उदास है
ख्वाबों की जगह आँखो में नमी
ठहर सी गई है
ये धड़कनें
पूछे तुझसे साथियां
क्या मेरी थी खता
देना था ना जब साथ तो
ये हाथ क्यों थामा था
Novel – Hui Main Teri Joganiya
Author – Pankh
App – Pocket FM , Pocket Novel
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#pankhmythoughts
मुझको यूं रुलाकर
आखिर तुमने क्या पाया है
क्या मेरा दर्द
तुझे नजर भी ना आया है
तू था रूह
मैं थी काया
मैने रब को था तुझमें पाया
कैसे कहूं तुझसे मैं माहिया
हुई मैं तेरी जोगनिया
तुझसे ही साथियां
मेरी चाहते हुई पूरी थी
बिन तेरे साथी
मेरी भी हर हसरत अधूरी है
जो तुम कहना चाहते थे
वो तुमने कह दिया है
पर हम कह ना पाए
जो मेरी दास्तां है
पढ़ ले मेरी आंखों में
क्या मेरी कहानी है
कैसे तू ना देंख पाई
मैने कभी कहां
तुझसे कुछ छिपाया है
मैं जहां , तू वहां
तू ही तो मेरी धड़कनों में
बहती बन के रवानी है
तू गर मेरी जोगनिया है
तो मैं भी तेरा जोगी हूं
रूह तेरी मेरी एक है
धड़कनें भी एक है
दिल भी जब एक है
तो हम
जुदा ही कहां है
प्यार दिल से दिल का वादा है
दिल से निभाया जाता है
जिसे छूकर जताया जाए
वो इश्क ही कहां है
प्रेम रूह का दर्पण है
मन से मन का संगम है
तेरी पाकिजगी
मेरा समर्पण है
जिन दायरों में हम बंधे है
उन दायरों को हम निभाएंगे
प्रेम की एक नई
परिभाषा
हम लिख जायेंगे
•••• पँख ••••